अफगानिस्तान में छोड़े गए अमेरिकी हथियारों पर ट्रंप की चिंता: वापसी की उठी मांग

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में फिर से अफगानिस्तान में छोड़े गए अमेरिकी सैन्य हथियारों और उपकरणों की वापसी की मांग की है। उन्होंने 2021 में अमेरिकी सेना की वापसी को एक “भयावह गलती” करार देते हुए कहा कि यह न केवल अमेरिका की सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि वैश्विक सैन्य संतुलन को भी प्रभावित कर सकता है।

अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी और सैन्य उपकरणों का नुकसान

अमेरिका ने अगस्त 2021 में अफगानिस्तान से अपनी सेना को पूरी तरह हटा लिया था, जिसके साथ ही तालिबान ने देश की सत्ता पर कब्जा कर लिया। इस वापसी के दौरान 7 अरब डॉलर से अधिक के सैन्य उपकरण और हथियार अफगानिस्तान में ही रह गए थे। इन हथियारों में हेलीकॉप्टर, बख्तरबंद वाहन, ड्रोन, हथियार और संचार प्रणाली शामिल थीं, जो अब तालिबान के नियंत्रण में हैं।

पेंटागन द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी सेना ने कुछ उपकरणों को निष्क्रिय कर दिया था, लेकिन अधिकांश अभी भी कार्यशील स्थिति में हैं। ट्रंप ने इस मुद्दे को लेकर सवाल उठाए हैं कि इतनी बड़ी सैन्य संपत्ति को बिना उचित योजना के अफगानिस्तान में क्यों छोड़ा गया?

ट्रंप की मांग: सभी हथियार वापस लाने की योजना तैयार हो

पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में अपने एक भाषण में कहा कि “अगर मैं फिर से सत्ता में आया, तो हमारी सरकार की पहली प्राथमिकता इन हथियारों और सैन्य उपकरणों को वापस लाने की होगी।” उन्होंने बाइडेन प्रशासन पर निशाना साधते हुए कहा कि “इतनी बड़ी मात्रा में सैन्य संपत्ति छोड़ना राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता करना है।”

ट्रंप ने यह भी कहा कि अब जबकि तालिबान सरकार इन उपकरणों का उपयोग कर रही है, तो यह आतंकवादी संगठनों के हाथों में भी जा सकते हैं, जिससे दुनिया भर में अस्थिरता बढ़ सकती है।

अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञों की राय

रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि अफगानिस्तान में छोड़े गए अमेरिकी हथियारों की वापसी बेहद मुश्किल है। इसके पीछे कुछ मुख्य कारण हैं:

  1. तालिबान का मजबूत नियंत्रण – तालिबान सरकार इन हथियारों को अमेरिका को वापस देने के लिए तैयार नहीं होगी।
  2. तकनीकी समस्याएँ – कई उपकरणों को अमेरिकी सैन्य ठेकेदारों द्वारा संचालित और मरम्मत किया जाता था। अब उनके बिना, कुछ हथियार निष्क्रिय हो सकते हैं।
  3. भू-राजनीतिक चुनौतियाँ – अफगानिस्तान अब चीन और रूस के संपर्क में है, जिससे अमेरिकी सैन्य दखल संभव नहीं लग रहा।

हालांकि, ट्रंप प्रशासन में रहे कुछ रक्षा अधिकारियों का कहना है कि यदि अमेरिका राजनयिक और सैन्य दबाव बनाए रखे, तो कुछ हथियारों की वापसी संभव हो सकती है।

तालिबान का रुख: अमेरिकी हथियारों का क्या हो रहा इस्तेमाल?

तालिबान ने दावा किया है कि वे इन हथियारों का उपयोग अपनी सुरक्षा और राष्ट्रीय रक्षा के लिए कर रहे हैं। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, तालिबान ने कुछ उपकरण चीन और ईरान को भी बेचे हैं, जिससे अमेरिकी सैन्य तकनीक अन्य देशों के हाथ लग गई है।

तालिबान ने यह भी कहा कि वे इन हथियारों को आतंकवादी संगठनों को नहीं देंगे, लेकिन पश्चिमी देशों को इस पर पूरा भरोसा नहीं है।

क्या अमेरिका इन हथियारों को नष्ट कर सकता है?

कुछ रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका के पास अभी भी कुछ विकल्प हैं:

  1. ड्रोन स्ट्राइक द्वारा सैन्य उपकरणों को नष्ट करना – लेकिन इससे क्षेत्रीय तनाव बढ़ सकता है।
  2. तालिबान से राजनयिक बातचीत करना – जिससे कुछ उपकरण वापस आ सकते हैं।
  3. अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगाना – ताकि इन हथियारों का व्यापार रोका जा सके।

हालांकि, इनमें से कोई भी विकल्प पूरी तरह प्रभावी नहीं लगता।

निष्कर्ष: क्या ट्रंप की योजना संभव है?

डोनाल्ड ट्रंप की यह मांग कि अमेरिका अपने छोड़े गए हथियारों को वापस लाए, एक बड़ा राजनीतिक और सैन्य मुद्दा बन सकता है। अमेरिका के लिए यह एक जटिल स्थिति है क्योंकि अफगानिस्तान अब तालिबान के नियंत्रण में है और अमेरिका के पास सीमित विकल्प हैं।

यदि ट्रंप 2024 के राष्ट्रपति चुनाव जीतते हैं, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि वे इस मुद्दे पर क्या कदम उठाते हैं। फिलहाल, यह स्पष्ट है कि अफगानिस्तान में छोड़े गए अमेरिकी हथियार न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं, बल्कि यह अमेरिका की वैश्विक सैन्य रणनीति पर भी सवाल खड़े करते हैं।

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