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इस्लामिक कैलेंडर का नौवां महीना है, जिसे मुस्लिम समुदाय के लिए सबसे पवित्र माना जाता है। इस महीने में उपवास (रोज़ा), इबादत और परोपकार का विशेष महत्व होता है। रमज़ान 2025 के दौरान विश्वभर में मुस्लिम समुदाय आध्यात्मिकता, संयम और समाज सेवा में संलग्न होगा।
रमज़ान की शुरुआत इस्लामी चंद्र कैलेंडर पर आधारित होती है और इसका निर्धारण चांद देखने पर होता है। अलग-अलग देशों में चंद्र दर्शन के आधार पर यह तिथियाँ भिन्न हो सकती हैं।
रमज़ान का मुख्य उद्देश्य आत्म-शुद्धि और ईश्वर के प्रति भक्ति को मजबूत करना है। इस महीने में मुसलमान सूर्योदय से सूर्यास्त तक उपवास रखते हैं, जिसे सियाम (Sawm) कहा जाता है। उपवास के दौरान, भोजन और पानी के अलावा नकारात्मक विचारों, गुस्से और बुरी आदतों से भी बचने पर जोर दिया जाता है।
माना जाता है कि रमज़ान के दौरान ही पवित्र कुरान का अवतरण हुआ था। इस वजह से, मुसलमान पूरे महीने कुरान का पाठ करते हैं और विशेष रातों में तरावीह (विशेष नमाज़) पढ़ते हैं।
रोज़े की शुरुआत सेहरी (सुबह के भोजन) से होती है, जो सूर्योदय से पहले किया जाता है। दिनभर उपवास रखने के बाद, इफ्तार (सूर्यास्त के बाद का भोजन) के साथ इसे खोला जाता है।
इफ्तार में आमतौर पर खजूर, पानी, जूस और हल्का भोजन शामिल होता है। इसके बाद, पारंपरिक व्यंजन और विशेष रमज़ान डिशेज़ का सेवन किया जाता है।
रमज़ान केवल उपवास का महीना नहीं है, बल्कि यह समुदाय, एकता और परोपकार का भी प्रतीक है। इस महीने में गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता के लिए जकात (दान) और सदका (स्वेच्छा से दान) दिया जाता है।
रमज़ान के दौरान, कई मुस्लिम-बहुल देशों में सरकारी और निजी संस्थानों के कार्य घंटे कम कर दिए जाते हैं।
आज की तेज़-रफ्तार दुनिया में रमज़ान के दौरान सेहत और उत्पादकता बनाए रखना एक चुनौती बन सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि रोज़े के दौरान संतुलित आहार, पर्याप्त पानी और पर्याप्त नींद लेना जरूरी है।
सेहतमंद रमज़ान के लिए कुछ टिप्स:
रमज़ान के अंत में शव्वाल महीने की पहली तारीख को ईद-उल-फ़ित्र मनाई जाती है। यह दिन उपवास की समाप्ति का प्रतीक होता है और इसे खुशियों और भाईचारे के त्योहार के रूप में मनाया जाता है।
ईद से पहले “फितरा” देना अनिवार्य होता है, जो गरीबों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए दिया जाता है।
रमज़ान 2025 सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आत्म-निरीक्षण, आध्यात्मिक उन्नति और सामाजिक एकता का अवसर भी है। यह महीना संयम, दान और इबादत के माध्यम से व्यक्ति को खुद में सुधार करने का मौका देता है। चाहे दुनिया के किसी भी हिस्से में हों, मुस्लिम समुदाय इस पवित्र महीने को पूरी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाता है।